रिलायंस के प्रॉफिट में बंपर उछाल,
रिटेल और जियो कारोबार का ये रहा हाल
रिलायंस रिटेल अब भारत के बड़े बाजार में अपने मोबाइल और सॉफ्ट ड्रिंक बेचने के बाद, रेफ्रिजरेटर, AC और वाशिंग मशीन बेचने की तैयारी में है। इस बाजार में LG और सैमसंग जैसी बड़ी कंपनियां पहले से ही मौजूद हैं। रिलायंस रिटेल एक नई रणनीति के साथ इस तेजी से बढ़ते बाजार में अपनी पकड़ बनाना चाहता है। यह रणनीति पुरानी पहचान, बड़े पैमाने पर काम करने की क्षमता और बाजार में बदलाव लाने पर आधारित है।
रिलायंस रिटेल अपने प्राइवेट लेबल पोर्टफोलियो को बढ़ा रहा है। प्राइवेट लेबल पोर्टफोलियो का मतलब है, कंपनी अपने नाम से सामान बनाएगी और बेचेगी। होम इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरणों के बाजार में भी रिलायंस रिटेल अपनी जगह बना रहा है। इस बाजार को लोगों की बढ़ती हुई आमदनी, शहरों के विकास और बढ़ती प्रतिस्पर्धा से बढ़ावा मिल रहा है। EY की एक रिपोर्ट के अनुसार, जून 2024 तक भारत का उपभोक्ता सामान बाजार सबसे तेजी से बढ़ने वाला बाजार था। यह 2029 तक लगभग 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
केल्विनेटर आई झोली में
रिलायंस रिटेल का उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के बाजार में आना एक बड़ा कदम है। यह ठीक वैसा ही है जैसा उसने FMCG बाजार में किया था। FMCG का मतलब है, रोजमर्रा की चीजें जैसे साबुन, तेल और खाने-पीने का सामान। रिलायंस रिटेल पुरानी ब्रांडों को फिर से शुरू करेगा, अपने मजबूत वितरण नेटवर्क का इस्तेमाल करेगा और मेड इन इंडिया के नारे के साथ बाजार में बदलाव लाएगा। हाल ही में रिलायंस रिटेल ने केल्विनेटर ब्रांड को खरीदा है। यह इस दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे पता चलता है कि कंपनी भारत के तेजी से बढ़ते होम अप्लायंसेज बाजार में लम्बे समय तक टिके रहने की योजना बना रही है।
केल्विनेटर ब्रांड की कहानी लाइसेंस से मालिकाना हक तक पहुंची है। रिलायंस रिटेल ने शुक्रवार को बताया कि उसने स्वीडन की कंपनी इलेक्ट्रोलक्स से केल्विनेटर को खरीद लिया है। इससे वह टिकाऊ वस्तुओं के बाजार में अपनी पेशकश को और बढ़ाएगा। केल्विनेटर एक पुराना ब्रांड है जो लगभग 100 साल पहले शुरू हुआ था। यह होम रेफ्रिजरेशन का जनक माना जाता है। 1970 और 80 के दशक में इसकी टैगलाइन ‘द कूलेस्ट वन’ बहुत मशहूर थी।
क्या होगा फायदा
रिलायंस रिटेल 2019 से केल्विनेटर का लाइसेंस लेकर सामान बेच रही थी। अब उसने इसे पूरी तरह से खरीद लिया है। इससे यह ब्रांड अब सिर्फ एक काम चलाऊ चीज नहीं रह गया है, बल्कि कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति बन गया है। केल्विनेटर का नाम दशकों से रेफ्रिजरेटर और वॉशिंग मशीन के साथ जुड़ा हुआ है। आज भी पुराने भारतीय ग्राहक इस पर भरोसा करते हैं। हालांकि, उदारीकरण के बाद और कोरियाई तथा जापानी कंपनियों के आने से इसकी चमक फीकी पड़ गई थी। लेकिन इस ब्रांड की पुरानी पहचान अब भी इसे रिलायंस के नेतृत्व में फिर से खड़ा करने के लिए काफी है।
केल्विनेटर को अपने साथ जोड़कर रिलायंस को सिर्फ एक ब्रांड नहीं मिला है। उसे प्रोडक्ट डिजाइन, पुरानी पहचान और अच्छी छवि भी मिली है। इसे वह अपने बड़े रिटेल नेटवर्क के जरिए तेजी से बढ़ा सकता है। कंपनी की योजना सिर्फ रेफ्रिजरेटर और वॉशिंग मशीन बेचने की नहीं है। वह एयर कंडीशनर और किचन अप्लायंसेज भी बेचना चाहती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मध्यम वर्ग बढ़ रहा है और शहरों का विकास हो रहा है।
एलजी-सैमसंग को टक्कर
रिलायंस रिटेल ने 2024 में Wyzr नाम से एक ब्रांड लॉन्च किया था। यह ब्रांड LG, सैमसंग और व्हर्लपूल जैसी बड़ी कंपनियों को टक्कर देने के लिए बनाया गया है। Wyzr से रिलायंस यह दिखाना चाहता है कि वह सिर्फ पुराने ब्रांडों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहता, बल्कि नए जमाने के प्रोडक्ट भी बनाना चाहता है। ये प्रोडक्ट भारतीय ग्राहकों के लिए बनाए जाएंगे और इनकी कीमत भी कम होगी।
रिलायंस की दोहरी ब्रांड रणनीति है। केल्विनेटर एक पुराना ब्रांड है जबकि Wyzr एक नया और सस्ता ब्रांड है। इससे कंपनी पुराने और नए, दोनों तरह के ग्राहकों को अपनी ओर खींच सकती है। कंपनी घरेलू निर्माताओं से सामान बनवाने की बात कर रही है। साथ ही, वह भविष्य में अपनी फैक्ट्री भी लगाना चाहती है। इससे वह क्वालिटी, कीमत और नए आइडिया पर अपना कंट्रोल रख सके।
क्या है प्लान
रिलायंस सिर्फ ऑर्गेनिक तरीके से ही नहीं बढ़ना चाहती, बल्कि वह दूसरी कंपनियों को भी खरीदना चाहती है। माना जा रहा है कि वह Haier की भारतीय इकाई में हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखा रही है। साथ ही वह व्हर्लपूल के भारतीय कारोबार में भी बड़ी हिस्सेदारी खरीदना चाहती है। अगर ये डील सफल होती हैं, तो रिलायंस रातोंरात भारत के अप्लायंसेज बाजार में टॉप पर पहुंच सकती है।
भारत में अपना कारोबार बढ़ाना चाहता है और व्हर्लपूल भी बिकने की कगार पर है। ऐसे में रिलायंस खुद को एक ऐसे भारतीय कंपनी के तौर पर पेश कर रही है जो इन विदेशी कंपनियों को भारत में कारोबार करने में मदद कर सकती है। इस दौड़ में भारती ग्रुप और हैवल्स भी शामिल हैं। लेकिन रिलायंस के पास ज्यादा पैसा है और वह बेहतर तरीके से काम कर सकती है। इसलिए उसके जीतने की संभावना ज्यादा है।
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एफएमसीजी मार्केट
रिलायंस ने FMCG बाजार में भी ऐसा ही किया था। उसने कैम्पा कोला, रसिक और सोस्यो जैसे पुराने ब्रांडों को खरीदा था। इससे उसे बाजार में तुरंत पहचान मिल गई थी। रिलायंस का तरीका साफ है – पुराने ब्रांडों को खरीदो, उन्हें नया बनाओ और अपने बड़े डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के जरिए तेजी से बेचो। इस रणनीति से रिलायंस को नए ब्रांड बनाने में लगने वाले समय से छुटकारा मिल जाता है। साथ ही, उसे लोगों की पुरानी यादों और भरोसे का फायदा मिलता है। ये दोनों चीजें भारतीय बाजार में बहुत मायने रखती हैं।
रिलायंस की सबसे बड़ी ताकत यह है कि उसके पास एक पूरा सिस्टम है। उसके पास रिटेल स्टोर, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, टेलीकॉम और पेमेंट बिजनस सब कुछ है। इससे वह सिर्फ सामान ही नहीं बेचता, बल्कि मार्केटिंग, लॉजिस्टिक्स और आफ्टर-सेल्स सपोर्ट भी देता है। इस सिस्टम के जरिए बेचे गए सामान से रिलायंस को ग्राहकों के बारे में बहुत सारी जानकारी मिलती है। इससे वह ग्राहकों को उनकी पसंद के हिसाब से ऑफर दे सकता है, सर्विस दे सकता है और दूसरे प्रोडक्ट भी बेच सकता है।
डिस्काउंट देने की ताकत
इसके अलावा, रिलायंस के पास डिस्काउंट देने की ताकत है, वह दुकानों में अपनी मर्जी से सामान रखवा सकता है और तेजी से काम कर सकता है। इससे उसे उन पुरानी कंपनियों के मुकाबले फायदा मिलता है जो अभी भी पुराने तरीके से काम करती हैं। अभी तक रिलायंस के अपने ब्रांड रीकनेक्ट और Wyzr को ज्यादा सफलता नहीं मिली है। लेकिन वह केल्विनटर जैसे पुराने ब्रांडों और Wyzr जैसे नए ब्रांडों को मिलाकर बाजार में बड़ा बदलाव लाना चाहती है। साथ ही, वह विदेशी कंपनियों के साथ डील भी कर रही है। रिलायंस कंज्यूमर ड्यूरेबल मार्केट में जियो जैसा कुछ करना चाहता है, लेकिन यह एक लंबी दौड़ है।
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